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पुरी जगन्नाथ मंदिर: दिव्य यात्रा और समृद्ध इतिहास

पुरी जगन्नाथ मंदिर: दिव्य यात्रा और समृद्ध इतिहास।

पुरी जगन्नाथ मंदिर: दिव्य यात्रा। ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को समर्पित पुरी जगन्नाथ मंदिर का 12वीं शताब्दी में राजा अनंतवर्मन चोडगंगा देव द्वारा निर्माण हुआ।

जानिए इसके इतिहास, वास्तुकला, रथ यात्रा उत्सव और चार धाम यात्रा में इसके महत्व के बारे में। पुरी जगन्नाथ मंदिर: एक दिव्य यात्रा।

ओडिशा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को समर्पित पुरी जगन्नाथ मंदिर के समृद्ध इतिहास के बारे में जानें। राजा अनंतवर्मन चोडगंगा देव द्वारा 12वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का एक प्रमाण है।

इसकी शानदार संरचना, प्रसिद्ध रथ यात्रा उत्सव और चार धाम तीर्थयात्रा में इसके महत्व के बारे में जानें। पुरी जगन्नाथ मंदिर दुनिया भर में लाखों भक्तों के लिए आध्यात्मिकता और आस्था का प्रतीक बना हुआ है।

पुरी जगन्नाथ मंदिर का इतिहास।

पुरी जगन्नाथ मंदिर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है। यह मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी शहर में स्थित है।

इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने करवाया था। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का जीता-जागता उदाहरण भी है।

पुरी जगन्नाथ मंदिर: दिव्य यात्रा। मंदिर की वास्तुकला-

पुरी जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला अद्भुत और भव्य है। मंदिर की उंचाई लगभग 65 मीटर है और यह एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।

मंदिर का मुख्य शिखर, जिसे देउल कहा जाता है, पर भगवान जगन्नाथ का ध्वज लहराता है। मंदिर के चारों ओर विशाल दीवारें हैं, जो मंदिर परिसर को सुरक्षित रखती हैं।

रथ यात्रा।

पुरी जगन्नाथ मंदिर की सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा रथ यात्रा है। यह उत्सव हर साल आषाढ़ महीने में मनाया जाता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विशाल रथों को खींचकर गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है।

लाखों भक्त इस यात्रा में भाग लेते हैं और इसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं।

मंदिर की महिमा।

पुरी जगन्नाथ मंदिर को चार धाम यात्रा का एक प्रमुख हिस्सा माना जाता है। यह मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और मोक्ष प्राप्त करने का एक प्रमुख केंद्र है।

यहां की महिमा और दिव्यता को शब्दों में बयां करना कठिन है। यह मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है।

 

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