
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ का मिसाइल कॉम्प्लेक्स दौरा, DRDO की परियोजनाओं की समीक्षा
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ का मिसाइल कॉम्प्लेक्स दौरा, DRDO की परियोजनाओं की समीक्षा
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ का मिसाइल कॉम्प्लेक्स दौरा: संजय सेठ ने हैदराबाद के मिसाइल कॉम्प्लेक्स में DRDO की मिसाइल परियोजनाओं और रक्षा तकनीकों की समीक्षा की, आत्मनिर्भर भारत को बल। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने बुधवार और गुरुवार का दिन हैदराबाद के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स में बिताया। उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की शीर्ष मिसाइल अनुसंधान प्रयोगशालाओं, उन्नत प्रणाली प्रयोगशाला (एएसएल), अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) और रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) द्वारा मिसाइलों और हथियार प्रणालियों में की गई प्रगति की समीक्षा करते हुए ऐसा किया।
डीआरडीएल की यात्रा के दौरान मंत्री ने एस्ट्रा एमके I और एमके II (हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें), वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (VL-SRSAM) और स्क्रैमजेट इंजन तकनीक जैसी प्रमुख परियोजनाओं का निरीक्षण किया। इन परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति और उनकी रणनीतिक उपयोगिता के बारे में उन्हें मिसाइल और सामरिक प्रणाली विभाग के महानिदेशक यू. राजा बाबू और डीआरडीएल के निदेशक जी. ए. श्रीनिवास मूर्ति ने विस्तृत जानकारी दी।
आरसीआई में मंत्री ने स्वदेशी नेविगेशन और एवियोनिक्स सिस्टम, ऑनबोर्ड कंप्यूटर तकनीक तथा इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर जैसी उन्नत रक्षा तकनीकों की समीक्षा की।
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ का मिसाइल कॉम्प्लेक्स दौरा: आरसीआई के निदेशक अनिंद्य बिस्वास ने उन्हें इन तकनीकों की नवीनतम उपलब्धियों से अवगत कराया।
संजय सेठ ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि ये प्रयास ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को मजबूत करने में सहायक हैं। उन्होंने डीआरडीओ को राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने वाली तकनीकों के विकास के लिए प्रेरित किया।
लद्दाख में ऊँचाई पर आकाश प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण, भारत की वायु रक्षा क्षमता को मिला नया आयाम
भारत ने गुरुवार को लद्दाख की ऊँचाई पर अत्यधिक गति वाले दो मानव रहित हवाई लक्ष्यों को मार गिराकर आकाश प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह आकाश प्रणाली का उन्नत संस्करण है, जिसे विशेष रूप से भारतीय सेना की जरूरतों के अनुसार विकसित किया गया है।
आकाश प्राइम को 4,500 मीटर से अधिक ऊँचाई वाले इलाकों में प्रभावी संचालन के लिए तैयार किया गया है। इसमें स्वदेशी तकनीक से विकसित रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर समेत कई आधुनिक फीचर जोड़े गए हैं।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, “सिस्टम को यूजर फीडबैक के आधार पर बेहतर बनाया गया है, जिससे इसकी परिचालन क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। यह स्वदेशी रक्षा तकनीक में भारत की प्रगति का प्रतीक है।”
यह परीक्षण “पहले उत्पादन मॉडल फायरिंग ट्रायल” का हिस्सा था, जिससे इसकी समय पर सेना में तैनाती संभव हो सकेगी और सीमावर्ती ऊँचाई वाले क्षेत्रों में भारत की वायु रक्षा प्रणाली को मजबूती मिलेगी।
इस सफलता की अहमियत तब और बढ़ जाती है जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की घरेलू वायु रक्षा प्रणालियों ने शानदार प्रदर्शन किया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर डीआरडीओ, सेना और देश के रक्षा उद्योग से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत की ऊँचाई पर लड़ने की क्षमता और आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक को नई दिशा देती है।
डीआरडीओ प्रमुख और रक्षा अनुसंधान सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने भी परीक्षण में शामिल सभी वैज्ञानिकों और अभियंताओं को शुभकामनाएँ दीं और इसे देश की वायु रक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया।