2011 के बाद बंगाल पुलिस ने पहली बार चलाई गोलियां | मुर्शिदाबाद हिंसा में बड़ा खुलासा
2011 के बाद बंगाल पुलिस ने पहली बार चलाई गोलियां | मुर्शिदाबाद हिंसा में बड़ा खुलासा
2011 के बाद पहली बार बंगाल पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चलाईं और इस बार आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि की गई है। मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर भड़की हिंसा के बाद पुलिस पर हमला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। जानिए क्यों यह मामला बंगाल के लिए अलग है।
2011 के बाद पहली बार बंगाल पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चलाईं और यह बात स्वीकार की। मुर्शिदाबाद अलग क्यों था। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के लिए एक बड़े नीतिगत बदलाव में, राज्य पुलिस ने पहली बार स्वीकार किया कि मुर्शिदाबाद में कानून और व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उन्हें फायरिंग का सहारा लेना पड़ा, जहां सप्ताहांत में वक्फ कानून विरोधी झड़पें हुईं।
एडीजी कानून और व्यवस्था जावेद शमीम ने कहा, “पुलिस ने लाठियों और आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन भीड़ फिर भी अड़ी रही। वे पुलिस पर हमला करने और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की होड़ में थे। पुलिस पर हमला किया गया, जिसके कारण उन्हें चार राउंड फायरिंग करनी पड़ी।”
2011 का मामला और बंगाल पुलिस ने भीड़ से कैसे निपटा
पिछले कुछ वर्षों में, राज्य पुलिस ने दिसंबर 2011 के मामले को ध्यान में रखते हुए भीड़ की हिंसा से निपटा है। इसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षा में दक्षिण 24 परगना जिले के मगराहाट में गोलीबारी की थी, क्योंकि भीड़ ने बिजली चोरी रोकने गई WBSEDCL की टीम पर हमला कर दिया था। पुलिस आखिरकार WBSEDCL की टीम को बचाने में कामयाब रही, लेकिन एक नाबालिग समेत दो लोग पुलिस की गोली से मारे गए।
तीन पुलिसकर्मियों को दंडित किया गया, उनसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और फिर उनका तबादला कर दिया गया।
इस घटना के बाद से, जिसे पश्चिम बंगाल में “अलिखित सिद्धांत” कहा जाता है, सूत्रों के अनुसार, पुलिस कभी भी भीड़ पर आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल नहीं करती है। कुछ मौकों पर पुलिस द्वारा गोलीबारी और मौतों के आरोप लगे, लेकिन पुलिस ने कभी स्वीकार नहीं किया।
2012 में, बीरभूम में पुलिस द्वारा गोलीबारी की खबरें आईं और वहां भी एसपी को दंडित किया गया। उस समय बनर्जी ने कहा था, “मैं लोबा में पुलिस द्वारा गोलीबारी की निंदा करती हूं। मैंने वरिष्ठ अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। हम नहीं चाहते कि पुलिस निर्दोष लोगों पर गोली चलाए, और हमने अधिकारियों को ऐसे कृत्यों से बचने का निर्देश दिया है।”
2011 के बाद बंगाल पुलिस ने पहली बार चलाई गोलियां: इस बार गोलीबारी क्यों?
सूत्रों का कहना है कि मुर्शिदाबाद में भीड़ के हिंसक होने और पुलिस पर हमला करने तथा संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के बाद पुलिस ने उन पर गोली चलाई।
राजनीतिक विश्लेषक संबित पाल ने कहा, “पुलिस को कानून-व्यवस्था कायम करनी होगी। अन्यथा स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। यह केवल मुर्शिदाबाद की बात नहीं है, बल्कि अन्य स्थानों की भी बात है। पुलिस यह संदेश देना चाहती थी कि गुंडों के आगे वे दब नहीं सकते।”
शनिवार को गोली लगने से घायल युवक की मौत हो गई। सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार ही नहीं, शनिवार को भी बीएसएफ को गोली चलानी पड़ी, जिसमें दो लोग घायल हो गए।
शनिवार को डीजी राजीव कुमार ने साफ कहा: “हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी, जो कोई भी लोगों को भड़काएगा या कानून को हाथ में लेने की कोशिश करेगा, उसके साथ सख्ती से निपटा जाएगा।”