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‘पाकिस्तान भारत के खिलाफ युद्ध नहीं जीत सकता’: पूर्व सीआईए अधिकारी का बड़ा खुलासा

‘पाकिस्तान भारत के खिलाफ युद्ध नहीं जीत सकता’: पूर्व सीआईए अधिकारी का बड़ा खुलासा — अमेरिका ने आईएसआई को दिए लाखों डॉलर, मुशर्रफ को बताया वाशिंगटन का आदमी

‘पाकिस्तान भारत के खिलाफ युद्ध नहीं जीत सकता’: पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाको ने बड़ा खुलासा किया कि पाकिस्तान भारत से पारंपरिक युद्ध नहीं जीत सकता। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने मुशर्रफ शासन में आईएसआई को लाखों डॉलर दिए और पाकिस्तान को भारत के खिलाफ युद्ध नीति छोड़ने की सलाह दी।

पूर्व अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के अधिकारी जॉन किरियाको (John Kiriakou) ने पाकिस्तान और भारत के बीच संभावित युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान “भारत के खिलाफ पारंपरिक युद्ध कभी नहीं जीत सकता”, और इस्लामाबाद को यह समझना होगा कि युद्ध से उसे सिर्फ नुकसान ही होगा।

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किरियाको, जिन्होंने सीआईए में 15 वर्षों तक सेवा की और पाकिस्तान में आतंकवाद-रोधी अभियानों के प्रमुख के रूप में काम किया, ने एक प्रमुख समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा,

‘पाकिस्तान भारत के खिलाफ युद्ध नहीं जीत सकता’: भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक युद्ध

“भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक युद्ध से कुछ भी अच्छा नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तानी हार जाएँगे। यह इतनी सीधी बात है। और मैं परमाणु हथियारों की बात नहीं कर रहा, बल्कि केवल पारंपरिक युद्ध की बात कर रहा हूँ।”

उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान को अपनी नीति में बदलाव लाना चाहिए और यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत को उकसाना उसके लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकता है। उनके अनुसार, इस्लामाबाद को यह नीतिगत निष्कर्ष निकालना चाहिए कि भारत के खिलाफ किसी भी आक्रामक नीति से उसके राष्ट्रीय हितों को ही नुकसान होगा।

भारत ने भी पिछले वर्षों में यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा और आतंकवाद के किसी भी कृत्य का कड़ा जवाब देगा। सर्जिकल स्ट्राइक (2016), बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) और ऑपरेशन सिंदूर (2024) जैसे कदम भारत की सैन्य दृढ़ता का प्रतीक हैं।

अमेरिका ने पाकिस्तान को लाखों डॉलर दिए

इसी दौरान किरियाको ने अमेरिका की भूमिका पर भी चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान, अमेरिका ने पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को लाखों डॉलर दिए, जिससे उनका सहयोग सुनिश्चित किया गया।

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“हमने मूल रूप से मुशर्रफ को खरीद लिया,” उन्होंने कहा। “अमेरिका को तानाशाहों के साथ काम करना आसान लगता है क्योंकि तब जनता की राय और मीडिया की चिंता नहीं करनी पड़ती।”

किरियाको के इस बयान ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या पाकिस्तान का आतंकवाद और अमेरिका की विदेश नीति एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। उनके बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की सैन्य नीति में अमेरिका का महत्वपूर्ण प्रभाव लंबे समय से बना हुआ है।

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