बांग्लादेश में हिंदू आबादी में गिरावट का मुद्दा: भारत-बांग्लादेश संबंधों में चिंता का विषय
बांग्लादेश में हिंदू आबादी में गिरावट का मुद्दा: भारत-बांग्लादेश संबंधों में चिंता का विषय
बांग्लादेश में हिंदू आबादी में आई गिरावट को लेकर भारत ने चिंता जताई है। बांग्लादेश सरकार ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भारत के साथ संबंध मजबूत रखने की प्रतिबद्धता दोहराई है।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की जनसंख्या में लगातार हो रही कमी एक बार फिर चर्चा में है। जनगणना आंकड़ों और सामाजिक अध्ययनों के अनुसार, पिछले कई दशकों में बांग्लादेश में हिंदू आबादी के अनुपात में गिरावट दर्ज की गई है। यह विषय न केवल बांग्लादेश की आंतरिक सामाजिक स्थिति से जुड़ा है, बल्कि भारत-बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों में भी संवेदनशील मुद्दे के रूप में उभर रहा है।
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1971 में बांग्लादेश की कुल आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग 13 प्रतिशत से अधिक थी। हालिया अनुमानों में यह आंकड़ा घटकर 8 प्रतिशत से नीचे बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट एक ही कारण से नहीं, बल्कि कई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों के संयुक्त प्रभाव का परिणाम है।
बांग्लादेश में हिंदू आबादी में गिरावट का मुद्दा: गिरावट के कारणों पर चर्चा
विश्लेषकों के अनुसार, हिंदू आबादी में कमी के पीछे पलायन, संपत्ति से जुड़े विवाद, सुरक्षा संबंधी आशंकाएं और सामाजिक असुरक्षा की भावना जैसे कारण प्रमुख हैं। समय-समय पर अल्पसंख्यक समुदायों से जुड़ी घटनाएं सामने आती रही हैं, जिनमें धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने या सामुदायिक तनाव की खबरें शामिल हैं।
हालांकि, बांग्लादेश सरकार का कहना है कि ऐसी घटनाओं को व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए और इन्हें पूरे देश की स्थिति का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता। सरकार के अनुसार, कानून-व्यवस्था बनाए रखने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रशासनिक कदम उठाए जाते रहे हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने कूटनीतिक स्तर पर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंता जताई है। भारतीय पक्ष का कहना है कि क्षेत्रीय स्थिरता और सामाजिक समरसता के लिए यह आवश्यक है कि सभी समुदायों को समान सुरक्षा और अधिकार मिलें।
भारत सरकार यह भी मानती है कि बांग्लादेश के साथ उसके संबंध बहुआयामी हैं, जिनमें व्यापार, संपर्क, सीमा प्रबंधन और विकास सहयोग शामिल हैं। ऐसे में अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों का समाधान संवाद और आपसी समझ के माध्यम से होना चाहिए।
बांग्लादेश सरकार का पक्ष
बांग्लादेश सरकार ने दोहराया है कि वह एक धर्मनिरपेक्ष संविधान के तहत संचालित देश है और सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अधिकारियों के अनुसार, अल्पसंख्यकों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा या भेदभाव स्वीकार्य नहीं है और ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई की जाती है।
साथ ही, बांग्लादेश ने भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की इच्छा भी व्यक्त की है। दोनों देशों के बीच नियमित संवाद और उच्चस्तरीय बैठकें इन संबंधों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
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बांग्लादेश में हिंदू आबादी में गिरावट का मुद्दा: द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हिंदू आबादी में गिरावट जैसे मुद्दे दोनों देशों के संबंधों में संवेदनशीलता बढ़ा सकते हैं। हालांकि, अब तक भारत और बांग्लादेश ने इन विषयों को कूटनीतिक संवाद के जरिए संभालने का प्रयास किया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, पारदर्शिता, संस्थागत संवाद और जमीनी स्तर पर सुधारात्मक कदम ही इस मुद्दे पर आगे बढ़ने का रास्ता हो सकते हैं।
