केरल स्थानीय निकाय चुनाव 2025: तिरुवनंतपुरम में BJP की ऐतिहासिक सेंध, शशि थरूर के गढ़ में NDA की बड़ी जीत
केरल स्थानीय निकाय चुनाव 2025: तिरुवनंतपुरम में BJP की ऐतिहासिक सेंध, शशि थरूर के गढ़ में NDA की बड़ी जीत
केरल स्थानीय निकाय चुनाव 2025: केरल स्थानीय निकाय चुनाव 2025 में BJP-NDA ने इतिहास रच दिया। तिरुवनंतपुरम नगर निगम और त्रिपुनिथुरा नगर पालिका पर कब्ज़े के साथ केरल की राजनीति में बड़ा बदलाव, 2026 विधानसभा चुनावों से पहले संकेत साफ।
केरल की राजनीति में लंबे समय बाद ऐसा चुनावी परिणाम सामने आया है, जिसने स्थापित धारणाओं को चुनौती दी है। केरल स्थानीय निकाय चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने न केवल मजबूत प्रदर्शन किया, बल्कि ऐसे क्षेत्रों में जीत दर्ज की, जिन्हें अब तक वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) और कांग्रेस-नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) का अभेद्य किला माना जाता था।
सबसे बड़ा राजनीतिक झटका तब लगा, जब तिरुवनंतपुरम नगर निगम में NDA ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। यह वही क्षेत्र है, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर का संसदीय क्षेत्र भी है।
तिरुवनंतपुरम: सिर्फ़ एक जीत नहीं, राजनीतिक संदेश
तिरुवनंतपुरम नगर निगम पर नियंत्रण पाना BJP के लिए केवल एक शहरी निकाय जीत भर नहीं है, बल्कि यह प्रतीकात्मक और रणनीतिक दोनों दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है। दशकों से यह निगम कभी कांग्रेस तो कभी वामपंथी दलों के प्रभाव में रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, NDA की यह जीत इस बात का संकेत है कि शहरी मतदाता अब वैचारिक ध्रुवीकरण से आगे बढ़कर प्रशासन, पारदर्शिता और नागरिक सुविधाओं जैसे मुद्दों पर वोट देने लगे हैं।
त्रिपुनिथुरा नगर पालिका पर भी NDA का कब्ज़ा
तिरुवनंतपुरम के साथ-साथ त्रिपुनिथुरा नगर पालिका में LDF से सत्ता छीनना भी NDA के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। यह इलाका वामपंथी राजनीति का मजबूत आधार रहा है।
दोनों निकायों में मिली जीत ने यह साफ कर दिया है कि BJP-NDA की मौजूदगी अब केवल सीमित वोट शेयर तक नहीं रह गई, बल्कि वह प्रशासनिक नियंत्रण में भी बदलने लगी है।
क्यों बदला केरल का मिज़ाज?
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस चुनाव में कई कारक निर्णायक रहे—
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शहरी बुनियादी ढांचे पर फोकस:
सड़क, जल निकासी, कचरा प्रबंधन और डिजिटल सेवाओं जैसे मुद्दे मतदाताओं के लिए अहम रहे। -
स्थानीय नेतृत्व की भूमिका:
BJP ने इस बार स्थानीय चेहरों को आगे बढ़ाया, जिससे “बाहरी पार्टी” की छवि कमजोर पड़ी। -
LDF और UDF के खिलाफ़ एंटी-इनकम्बेंसी:
लंबे समय से सत्ता में रहने के कारण दोनों मोर्चों के खिलाफ़ नाराज़गी उभरकर सामने आई। -
राष्ट्रीय राजनीति का असर:
केंद्र सरकार की योजनाओं और राष्ट्रीय स्तर पर NDA की राजनीतिक स्थिरता का प्रभाव भी शहरी मतदाताओं पर दिखा।
शशि थरूर के गढ़ में हार के मायने
तिरुवनंतपुरम को कांग्रेस का बौद्धिक और शहरी समर्थन वाला क्षेत्र माना जाता रहा है। ऐसे में यहां BJP की जीत को कांग्रेस के लिए चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है।
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज़ है कि क्या यह परिणाम आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की रणनीति को प्रभावित करेगा।
2026 विधानसभा चुनावों की झलक?
इन स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों को 2026 के केरल विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है। NDA की यह सफलता बताती है कि गठबंधन अब शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में अपनी पकड़ मज़बूत कर रहा है।
हालांकि, वाम मोर्चा और कांग्रेस दोनों ही इसे स्थानीय स्तर की लड़ाई बताकर बड़े राजनीतिक निष्कर्षों से इनकार कर रहे हैं।
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आगे की राह
BJP-NDA के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह इन नगर निकायों में सुशासन और प्रभावी प्रशासन देकर अपने दावे को मज़बूत करे।
यदि स्थानीय स्तर पर किए गए वादे ज़मीनी स्तर पर पूरे होते हैं, तो यह जीत केरल की राजनीति में स्थायी बदलाव की नींव साबित हो सकती है।
