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लाल किला विस्फोट और अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल का खुलासा: 2,900 किलोग्राम विस्फोटक, कश्मीरी डॉक्टर और बड़ा नेटवर्क

लाल किला विस्फोट और अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल का खुलासा: 2,900 किलोग्राम विस्फोटक, कश्मीरी डॉक्टर और बड़ा नेटवर्क

लाल किला विस्फोट और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामदगी ने देश को हिला दिया। कश्मीरी डॉक्टरों के नेतृत्व में एक अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश।

लाल किला विस्फोट, 2,900 किलोग्राम विस्फोटक की बरामदगी, और कुछ ही घंटों के भीतर देश के सबसे सुरक्षित क्षेत्रों में से एक में हुई एक भीषण कार ब्लास्ट—इन घटनाओं ने पूरे देश में खलबली मचा दी है। 10 नवंबर के बाद तीन दिनों में, जाँच एजेंसियों ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया और कई को हिरासत में लेकर पूछताछ की। शुरुआती जांच में जो सामने आया है, वह एक बड़े अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल की ओर इशारा करता है, जिसे “सफेदपोश मॉड्यूल” कहा जा रहा है।

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केंद्र में तीन कश्मीरी डॉक्टर

इस पूरे नेटवर्क के केंद्र में तीन कश्मीरी डॉक्टर बताए जा रहे हैं—डॉ. मुज़म्मिल अहमद गनई, डॉ. उमर नबी, और डॉ. मुजफ्फर राथर—जो कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के संपर्क में थे और देशभर में हमलों की योजना बना रहे थे।

10 नवंबर को यह साजिश तब उजागर हुई जब हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय में काम करने वाले डॉ. गनई के किराए के मकान से 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ। इसके बाद विश्वविद्यालय परिसर और उसके आसपास कुल 2,900 किलोग्राम विस्फोटक मिलने की जानकारी सामने आई। यह बरामदगी किसी बड़े आतंकी हमले की योजना का संकेत देती है।

उधर, उसी शाम दिल्ली में लाल किला परिसर के पास हुई भीषण कार विस्फोट में 13 लोगों की मौत ने जांच को और तेज कर दिया। जांच में पता चला कि कार चला रहा शख्स कोई और नहीं बल्कि दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड का 28 वर्षीय डॉ. उमर नबी था। डीएनए जांच से उसकी पहचान की पुष्टि हुई। माना जा रहा है कि वह इंटरनेट से VBIED बनाने की जानकारी लेकर उसे असेंबल कर रहा था, और विस्फोट समय से पहले हो गया।

तीसरा संदिग्ध, डॉ. मुजफ्फर राथर, अगस्त में भारत छोड़कर निकल चुका है और माना जा रहा है कि वह इस समय अफगानिस्तान में है। पुलिस ने इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है। जांच में सामने आया है कि ये तीनों डॉक्टर टेलीग्राम के जरिए पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स से संपर्क में थे।

इस मॉड्यूल में एक महत्वपूर्ण नाम डॉ. शाहीन सईद का भी सामने आया है, जिसे गिरफ्तार किए गए आठ लोगों में एकमात्र गैर-कश्मीरी के रूप में देखा जा रहा है। उसने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह हमले की साजिश से अवगत थी, खासतौर पर बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी से पहले बड़े धमाके की योजना की जानकारी उसे थी।

लाल किला विस्फोट: अल फलाह विश्वविद्यालय

इस साजिश का धागा तब खुलना शुरू हुआ जब 18 अक्टूबर की रात श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर मिले। पुलिस ने इस घटना को गंभीरता से लिया और जांच करते हुए पोस्टर लगाने वाले युवकों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में एक पूर्व पैरामेडिक से मौलवी बने इरफान अहमद का नाम सामने आया, जिसने आखिरकार जांच को अल फलाह विश्वविद्यालय और कश्मीरी डॉक्टरों के इस नेटवर्क तक पहुंचाया।

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जांच अधिकारियों के मुताबिक, यह मॉड्यूल महीनों से छोटे-छोटे पैकेटों में अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर खरीदकर बड़े पैमाने पर विस्फोटक इकट्ठा कर रहा था। परिवारों, पड़ोसियों और संदिग्धों से पूछताछ के बाद इस पूरे आतंकी ढांचे की तस्वीर साफ हो रही है।

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