
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान ने 88 घंटे में युद्ध विराम की मांग की, डीजीएमओ घई ने बताया आगे का संघर्ष विनाशकारी होगा
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान ने 88 घंटे में युद्ध विराम की मांग की, डीजीएमओ घई ने बताया आगे का संघर्ष विनाशकारी होगा
डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का खुलासा किया। पाकिस्तान ने केवल 88 घंटे में युद्ध विराम की मांग की। इस कार्रवाई ने आतंकवाद और सीमा पार हमलों के खिलाफ भारत की निर्णायक सैन्य रणनीति को साबित किया।
भारतीय सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को केवल 88 घंटों में युद्ध विराम की मांग करने को मजबूर कर दिया। यह खुलासा सैन्य अभियान के महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों (UN TCC) के सम्मेलन में किया। लेफ्टिनेंट जनरल घई ने कहा कि इस त्वरित समर्पण ने भारत की राजनीतिक और सैन्य रणनीति की प्रभावशीलता को सिद्ध किया और चेतावनी दी कि आगे का संघर्ष पाकिस्तान के लिए विनाशकारी साबित होगा।
भारतीय सेना की कार्रवाई
डीजीएमओ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति में एक निर्णायक बदलाव का प्रतीक है, जिसे प्रधानमंत्री ने भी स्पष्ट किया था। उन्होंने तीन मुख्य बिंदु साझा किए: आतंकवादी हमले युद्ध की कार्रवाई हैं और इनका निर्णायक जवाब दिया जाएगा; भारत परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा; और आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों में कोई अंतर नहीं होगा।
यह अभियान 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू हुआ था, जिसमें एलओसी के पार से प्रायोजित आतंकवादियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या की थी। डीजीएमओ ने बताया कि आतंकवादियों ने शुरुआत में जिम्मेदारी ली, लेकिन जल्द ही पीछे हट गए। भारत ने समय लेकर और सीमा पर एहतियाती तैनाती करके जवाबी कार्रवाई की तैयारी की।
ऑपरेशन सिंदूर में थलसेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। डीजीएमओ घई ने बताया कि नौसेना अरब सागर में पूरी तरह तैनात थी, और 11 हवाई ठिकानों पर हमले किए गए, जिनमें आठ हवाई अड्डे, तीन हैंगर और चार रडार शामिल थे। कई लड़ाकू विमान और अन्य संपत्तियां नष्ट की गईं।
उन्होंने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय मुरीदके और बहावलपुर पर भी कार्रवाई हुई, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादियों को ढेर किया गया। पहलगाम हमले के तीन अपराधियों को 96 दिनों तक पीछा किया गया और उन्हें पकड़ने में सफलता मिली। डीजीएमओ ने इसे “सैन्य सटीकता, कूटनीतिक चपलता, सूचना श्रेष्ठता और आर्थिक क्षमता का मिश्रण” बताया।
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ऑपरेशन सिंदूर: भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव
इसके अलावा, पाकिस्तान की अनजाने में जारी की गई पुरस्कार सूची से यह पता चला कि नियंत्रण रेखा पर उनके हताहतों की संख्या 100 से अधिक थी। 1980 के दशक से अब तक जम्मू-कश्मीर में 28,000 से अधिक आतंकवादी घटनाएं हुई हैं, जिससे 60,000 से अधिक परिवारों को पलायन करना पड़ा और 15,000 निर्दोष नागरिक और 3,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी मारे गए।
डीजीएमओ घई के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद और सीमा पार हमलों के खिलाफ भारत की निर्णायक और प्रभावशाली सैन्य रणनीति को साबित किया।