
‘डूरंड रेखा पर गुस्सा और आक्रोश’: भारत ने कहा – पाकिस्तान-अफ़ग़ान संघर्ष अप्रत्याशित नहीं, तनाव चरम पर
‘डूरंड रेखा पर गुस्सा और आक्रोश’: भारत ने कहा – पाकिस्तान-अफ़ग़ान संघर्ष अप्रत्याशित नहीं, तनाव चरम पर
‘डूरंड रेखा पर गुस्सा और आक्रोश’: डूरंड रेखा पर पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच झड़पों ने दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ा दिया है। भारत ने कहा कि यह संघर्ष अप्रत्याशित नहीं था, क्योंकि लंबे समय से सीमा पर आक्रोश और असंतोष पनप रहा था।
‘डूरंड रेखा पर गुस्सा और आक्रोश’: भारत का कहना – पाक-अफ़ग़ान संघर्ष अप्रत्याशित नहीं
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच डूरंड रेखा पर बढ़ते संघर्ष को लेकर भारत ने कहा है कि यह स्थिति पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं है। भारतीय राजनयिक सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों से सीमा पार असंतोष, जबरन विस्थापन और स्थानीय आक्रोश धीरे-धीरे विस्फोटक रूप ले रहा था।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 11 और 12 अक्टूबर की रात पाकिस्तान-अफ़ग़ान सीमा पर हुई झड़पों में पाकिस्तानी सेना के कम से कम 23 सैनिक और 200 से अधिक तालिबान लड़ाके मारे गए। वहीं, तालिबान ने दावा किया कि उनके जवाबी हमलों में 58 पाकिस्तानी सैनिक ढेर हुए।
यह झड़प ऐसे समय पर हुई जब अफ़ग़ान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत दौरे पर थे। सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों के बीच तनाव उस वक्त और बढ़ गया जब सीमा पार से एक-दूसरे पर आक्रमण के आरोप-प्रत्यारोप शुरू हुए।
पाकिस्तान-अफ़ग़ान सीमा पर बढ़ता असंतोष
राजनयिक सूत्रों के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच हजारों अफ़ग़ानों को पाकिस्तान से जबरन निर्वासित किया गया, जिससे कई परिवारों में गुस्सा और निराशा फैल गई। नई सीमा चौकियों की स्थापना और रोज़ाना होने वाले अपमान ने इस असंतोष को और गहरा किया है।
सूत्रों ने कहा कि पश्तून समर्थक भावनाएं उभरकर सामने आई हैं, हालांकि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लिए समर्थन का स्तर अभी भी विवादास्पद है। लेकिन यह स्पष्ट है कि टीटीपी अफ़ग़ान तालिबान के लिए एक “पाँचवां स्तंभ” बन चुका है।
टीटीपी की सैन्य क्षमता और क्षेत्रीय नियंत्रण: ‘डूरंड रेखा पर गुस्सा और आक्रोश’:
जानकारों का मानना है कि टीटीपी के पास 3,000 से 5,000 प्रशिक्षित लड़ाके हैं, जो गुरिल्ला युद्ध में माहिर हैं। वहीं अफ़ग़ान सेना ने नंगरहार, कुनार, वज़ीरिस्तान, पक्तिया और खोस्त जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रणनीतिक चोटियों पर कब्जा जमा रखा है।
हालांकि, यदि संघर्ष लंबा चलता है, तो पाकिस्तान अपनी बेहतर पारंपरिक सैन्य शक्ति के कारण बढ़त हासिल कर सकता है। पाकिस्तानी सैनिक बेहतर प्रशिक्षण और आधुनिक हथियारों से लैस हैं, जबकि अफ़ग़ान सेना अब भी सोवियत काल की राइफलें और मोर्टार इस्तेमाल कर रही है।
भारत के सूत्रों के अनुसार, अफ़ग़ान सेना के पास पर्याप्त गोला-बारूद और विदेशी हथियार आपूर्तिकर्ता नहीं हैं। अमेरिकी वापसी के बाद छोड़े गए हथियार अब सीमित उपयोग में हैं, जिससे तालिबान के लिए यह संघर्ष और कठिन हो सकता है।
क्षेत्रीय स्थिरता पर असर
राजनयिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह संघर्ष जारी रहता है, तो न केवल पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता पर असर पड़ सकता है। भारत का यह रुख साफ है कि इस संघर्ष की जड़ें लंबे समय से चली आ रही अविश्वास और सीमा विवादों में हैं, और यह स्थिति किसी के लिए भी आश्चर्यजनक नहीं है।