सिखों को मिली अनुमति, लेकिन हिंदू श्रद्धालुओं को लौटाया गया — पाकिस्तान में गुरु नानक जयंती पर विवाद
सिखों को मिली अनुमति, लेकिन हिंदू श्रद्धालुओं को लौटाया गया — पाकिस्तान में गुरु नानक जयंती पर विवाद
सिखों को मिली अनुमति: गुरु नानक देव जी की जयंती से पहले पाकिस्तान ने ननकाना साहिब जा रहे हिंदू श्रद्धालुओं को वाघा सीमा से वापस भेज दिया। जबकि सिखों को प्रवेश की अनुमति दी गई, इस फैसले से धार्मिक भेदभाव की बहस छिड़ गई है।
गुरु नानक देव जी की जयंती की पूर्व संध्या पर पाकिस्तान में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जहां सिख तीर्थयात्रियों को ननकाना साहिब जाने की अनुमति दी गई, वहीं हिंदू श्रद्धालुओं को वाघा सीमा पर रोक दिया गया और उन्हें वापस भारत लौटना पड़ा। यह घटना तब सामने आई जब दिल्ली और लखनऊ के कई हिंदू परिवार, सिख जत्थे के साथ प्रकाश पर्व में शामिल होने के उद्देश्य से पाकिस्तान पहुँचे थे।
सिखों को मिली अनुमति: द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारियों ने सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि केवल वे यात्री जो “सिख” के रूप में सूचीबद्ध हैं, उन्हें ही ननकाना साहिब जाने की अनुमति दी जाएगी। जिन यात्रियों की धार्मिक पहचान “हिंदू” के रूप में दर्ज थी, उन्हें अचानक रोक दिया गया। एक तीर्थयात्री ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, “हमने सभी औपचारिकताएँ पूरी कीं, टिकट खरीदे, लेकिन अंत में हमें यह कहकर रोक दिया गया — ‘तुम हिंदू हो, तुम नहीं जा सकते।’”
बताया गया है कि पाकिस्तान ने कुल 2,100 से अधिक भारतीय तीर्थयात्रियों को वीज़ा जारी किया था। इनमें से लगभग 1,796 सिख श्रद्धालु सीमा पार कर सके। हालांकि, करीब 300 यात्रियों — जिनमें हिंदू भी शामिल थे — को कथित “प्रक्रियागत खामियों” के नाम पर रोक दिया गया। हिंदू तीर्थयात्रियों ने दावा किया कि उन्हें केवल उनके धर्म के आधार पर अलग कर दिया गया, जिससे उनके साथ धार्मिक भेदभाव (religious discrimination) हुआ।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि कुछ व्यक्तियों का उद्देश्य केवल धार्मिक यात्रा नहीं था, बल्कि अपने पुराने परिचितों से मिलना भी था। पाकिस्तान ने इसे सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे के तहत प्रवेश से मना कर दिया। सूत्रों के अनुसार, भारत इस मामले में औपचारिक आपत्ति नहीं उठा सकता क्योंकि यह पाकिस्तान का आंतरिक निर्णय माना जाता है।
दिल्ली के श्रद्धालु अमर चंद
दिल्ली के श्रद्धालु अमर चंद ने बताया कि उनका परिवार उत्साहपूर्वक सीमा पार कर चुका था। आव्रजन औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद वे बस में बैठने ही वाले थे, तभी अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया और वापस लौटने को कहा गया। उन्होंने कहा, “हम गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर श्रद्धांजलि देने जा रहे थे, लेकिन हमारे लिए यह दिन निराशा में बदल गया।”
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वहीं दूसरी ओर, भारतीय सिख श्रद्धालुओं का पहला जत्था मंगलवार को अटारी-वाघा सीमा पार करके ननकाना साहिब पहुँच चुका है। वे वहाँ गुरु नानक देव जी के 556वें प्रकाश पर्व के मुख्य समारोह में भाग ले रहे हैं, जो 5 नवंबर को मनाया जा रहा है।
यह घटना भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक स्वतंत्रता (religious freedom) और सांप्रदायिक संवेदनशीलता (communal sensitivity) पर नई बहस छेड़ रही है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब सिखों को अनुमति दी जा सकती है, तो हिंदू श्रद्धालुओं को क्यों नहीं?
