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आरएसएस शताब्दी समारोह: 2 अक्टूबर से देशभर में लाखों कार्यक्रम, भव्य तैयारियाँ शुरू

आरएसएस शताब्दी समारोह: 2 अक्टूबर से देशभर में लाखों कार्यक्रम, भव्य तैयारियाँ शुरू

आरएसएस शताब्दी समारोह: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 2 अक्टूबर 2025 से अपनी शताब्दी वर्षगांठ का शुभारंभ करेगा। पूरे देश में एक लाख से अधिक सभाएँ और आयोजन होंगे। जानिए कब, कहाँ और किन खास तैयारियों के साथ ये ऐतिहासिक कार्यक्रम होंगे।

शताब्दी वर्ष का आगाज़

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर 2 अक्टूबर 2025 से शताब्दी समारोह की शुरुआत करेगा। संघ के मुताबिक, यह आयोजन केवल एक औपचारिकता नहीं होगा, बल्कि आने वाले एक वर्ष तक इसे देशव्यापी सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलन के रूप में मनाया जाएगा।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कहा,“आरएसएस की यात्रा केवल एक संगठन की नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा है। शताब्दी वर्ष का हर आयोजन समाज के लिए समर्पण का प्रतीक होगा।”

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आरएसएस शताब्दी समारोह: देशभर में एक लाख से अधिक कार्यक्रम

आरएसएस ने बताया है कि शताब्दी वर्ष के अंतर्गत एक लाख से अधिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। इनमें से कई बड़े आयोजन दिल्ली, नागपुर, बनारस, अहमदाबाद, चेन्नई और गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों में होंगे।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ: लोक नृत्य, संगीत और भारतीय परंपराओं पर आधारित कार्यक्रम।

संगोष्ठियाँ और व्याख्यान: शिक्षा, राष्ट्रवाद, पर्यावरण और सामाजिक समरसता पर चर्चा।

सेवा कार्य: स्वास्थ्य शिविर, वृक्षारोपण अभियान, रक्तदान शिविर और ग्रामीण विकास गतिविधियाँ।

व्यापक तैयारियाँ और रणनीति

संघ ने अपने सभी प्रांतों और शाखाओं को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। प्रत्येक शाखा को अपने-अपने क्षेत्रों में कम से कम एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया है।

संघ के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने मीडिया से कहा, “हमारी कोशिश है कि शताब्दी समारोह केवल संघ के दायरे तक सीमित न रहे, बल्कि समाज के हर वर्ग की भागीदारी हो। सेवा, संस्कृति और समरसता ही मुख्य आधार होंगे।”

आरएसएस शताब्दी समारोह:राजनीतिक और सामाजिक महत्व

विशेषज्ञ मानते हैं कि आरएसएस की शताब्दी वर्षगांठ केवल एक सांस्कृतिक उत्सव भर नहीं है। इसका राजनीतिक महत्व भी गहरा है। चूँकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संघ की विचारधारा से जुड़ी है, इसलिए आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में इन आयोजनों का असर देखा जा सकता है।

राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर अरुण मिश्रा के अनुसार,“शताब्दी समारोह आरएसएस के लिए जनसंपर्क का एक अवसर है। यह समाज में संगठन की पहुँच को और गहरा करेगा और राजनीतिक विमर्श को भी प्रभावित करेगा।”

जनता की भागीदारी पर ज़ोर

संघ की रणनीति है कि आयोजन केवल कार्यकर्ताओं तक सीमित न रहें।

आम नागरिकों को सामाजिक सेवा कार्यक्रमों से जोड़ा जाएगा।

छात्र-युवा समूहों के लिए विशेष प्रेरणा शिविर लगाए जाएँगे।

महिलाओं और ग्रामीण समाज की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

आरएसएस शताब्दी समारोह: अंतरराष्ट्रीय दृष्टि

संघ की योजना केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और खाड़ी देशों में भी एनआरआई समुदाय शताब्दी वर्ष को बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारी कर रहा है। इससे आरएसएस की वैश्विक पहचान और मजबूत होगी।

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निष्कर्ष

आरएसएस का यह शताब्दी समारोह केवल एक संगठन की उपलब्धि का उत्सव नहीं, बल्कि यह भारतीय समाज, संस्कृति और राजनीति पर व्यापक प्रभाव डालने वाला आयोजन होगा। 2 अक्टूबर 2025 से शुरू होकर यह कार्यक्रम पूरे 2026 तक चलेगा और देशभर में चर्चाओं का केंद्र रहेगा।

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