
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के विवादित प्रावधानों पर लगाई रोक – जानें मुख्य बिंदु
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के विवादित प्रावधानों पर लगाई रोक – जानें मुख्य बिंदु
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई, लेकिन “पाँच वर्षों तक इस्लाम का पालन” जैसे विवादित प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा दी। जानें फैसले के कानूनी, राजनीतिक और सामाजिक असर।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर एक अहम फैसला सुनाते हुए इसके कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अधिनियम पर पूर्ण रोक नहीं लगाई जाएगी, लेकिन कुछ संशोधन ऐसे हैं जो संवैधानिक प्रश्न खड़े करते हैं और जिनकी गहन जांच ज़रूरी है।
सबसे विवादित प्रावधान वह था जिसमें कहा गया था कि कोई व्यक्ति तभी अपनी संपत्ति को वक्फ के रूप में समर्पित कर सकता है जब उसने कम से कम पाँच वर्षों तक इस्लाम का पालन किया हो। न्यायालय ने इस प्रावधान को असंवैधानिक प्रश्नों से जुड़ा मानते हुए अंतरिम रूप से निलंबित कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के विवादित प्रावधानों पर लगाई रोक ⚖️ क्या हुआ?
कई याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम को चुनौती देते हुए दलील दी थी कि यह संशोधन अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 25-26 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है। उनका कहना था कि “पाँच वर्ष तक धर्म का अभ्यास” करने जैसी शर्त अस्पष्ट है और भेदभावपूर्ण हो सकती है।
न्यायालय ने कहा कि पूरे अधिनियम को रोका नहीं जाएगा, ताकि वक्फ की मौजूदा व्यवस्था बाधित न हो। लेकिन जिन प्रावधानों पर सवाल हैं, वे अंतिम निर्णय तक लागू नहीं होंगे।
📌 तत्काल प्रभाव
वक्फ संपत्ति पंजीकरण और हस्तांतरण: पुराने नियम फिलहाल जारी रहेंगे।
वक्फ बोर्ड व प्रशासक: मौजूदा कानून के तहत काम करेंगे लेकिन निलंबित प्रावधानों को लागू नहीं कर पाएंगे।
दानदाता व संपत्ति मालिक: संपत्ति समर्पित करने से पहले कानूनी परामर्श लेना उचित होगा।
🔍 कानूनी व संवैधानिक पहलू
यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता बनाम राज्य नियमन का उदाहरण बन गया है। सरकार ने दलील दी कि नए प्रावधान दान में पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने के लिए लाए गए हैं। वहीं आलोचकों का कहना है कि यह धार्मिक अधिकारों में अनावश्यक दखल है।
🏛️ राजनीतिक और सामाजिक असर
यह फैसला न सिर्फ कानूनी बहस, बल्कि अल्पसंख्यक अधिकारों और धार्मिक स्वायत्तता पर भी असर डालेगा। राजनीतिक दल, सामुदायिक संगठन और कानूनी विशेषज्ञ सभी इस केस पर पैनी नज़र रख रहे हैं।
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⏩ आगे की राह: सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के विवादित प्रावधानों पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई और विस्तृत फैसला।
सरकार की संभावित प्रतिक्रिया और संसद में संशोधन।
वक्फ बोर्डों और नागरिक समाज की प्रतिक्रिया।
फिलहाल यह आदेश तनाव को कुछ हद तक कम करता है, लेकिन बहस यहीं खत्म नहीं होगी