
गाजा शांति प्रस्ताव 2025: वैश्विक हलचल और भारत का संतुलित रुख
गाजा शांति प्रस्ताव 2025: वैश्विक हलचल और भारत का संतुलित रुख
गाजा शांति प्रस्ताव 2025: अमेरिका की नई शांति योजना पर दुनिया बंटी; कुछ देशों ने समर्थन किया, कई ने विरोध। भारत ने मानवीय मदद और पुनर्निर्माण को केंद्र में रखकर संतुलित रुख अपनाया।
गाजा शांति प्रस्ताव: वैश्विक हलचल, समर्थन और विरोध के बीच कूटनीतिक जंग
अमेरिका द्वारा पेश किए गए नए गाजा शांति प्रस्ताव ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। कुछ देशों ने इसे स्थायी शांति की दिशा में व्यवहारिक कदम बताया, तो वहीं कई देशों ने इसके प्रावधानों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस बीच, भारत ने मानवीय मदद और पुनर्निर्माण को केंद्र में रखकर संतुलित रुख दिखाया है।
प्रस्ताव की पृष्ठभूमि
मध्य पूर्व लंबे समय से हिंसा और अस्थिरता का केंद्र रहा है। गाजा पट्टी में हालिया संघर्षों और नागरिकों की बढ़ती मौतों के बीच अमेरिका और उसके सहयोगियों ने एक 20-बिंदु शांति योजना पेश की है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य है — तत्काल युद्धविराम, मानवीय सहायता का निर्बाध प्रवाह, और दीर्घकालिक समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय निगरानी व्यवस्था।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ: गाजा शांति प्रस्ताव 2025:
समर्थन: यूरोप के कुछ देशों ने इसे “स्थायी शांति की दिशा में पहला ठोस कदम” बताया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी प्रस्ताव का स्वागत किया और सभी पक्षों से “राजनीतिक साहस” दिखाने की अपील की।
विरोध: कई अरब देशों और स्थानीय संगठनों ने इस योजना को “एकतरफा” बताते हुए खारिज कर दिया। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव ज़मीनी हकीकत और फिलिस्तीनी जनता की आकांक्षाओं को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करता है।
इस्राइल की स्थिति: इस्राइल ने सुरक्षा गारंटी और आतंकवाद पर कठोर कार्रवाई से जुड़े प्रावधानों को सकारात्मक माना है, लेकिन पूर्ण युद्धविराम को लेकर संदेह जताया है।
भारत का रुख
भारत ने प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी योजना की सफलता का आधार “मानवीय संवेदनशीलता और पुनर्निर्माण की स्पष्ट रूपरेखा” होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बयान दिया कि “यह योजना पश्चिम एशिया में स्थायी शांति और विकास की ओर एक व्यवहारिक रास्ता हो सकती है, बशर्ते सभी पक्ष ईमानदारी से इसे लागू करने का प्रयास करें।”
भारत ने साथ ही गाजा में फंसे नागरिकों के लिए मानवीय मदद और मेडिकल सपोर्ट बढ़ाने की घोषणा की है।
मानवीय संकट
गाजा पट्टी में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं और अस्पतालों में दवाइयों की भारी कमी है। अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि तुरंत मानवीय कॉरिडोर नहीं खोले गए तो हालात और भयावह हो सकते हैं।
विश्लेषण
यह प्रस्ताव न तो पहला है और न ही शायद आखिरी। लेकिन इससे यह संकेत ज़रूर मिलता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब “स्थिति को जैसे-तैसा” मानने के लिए तैयार नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस योजना को जमीन पर लागू किया जा सकेगा?
यदि सभी पक्ष प्रस्ताव को अपनाते हैं तो गाजा के नागरिकों के लिए यह राहत की किरण हो सकती है। यदि विरोध बढ़ा तो यह प्रस्ताव भी पिछले प्रयासों की तरह कागज़ पर ही रह जाएगा।
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गाजा शांति प्रस्ताव ने दुनिया को फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में स्थायी शांति संभव है। भारत जैसे देशों की मध्यस्थता और मानवीय पहलू पर जोर शायद इस प्रयास को नई दिशा दे सके। आने वाले हफ़्ते तय करेंगे कि यह प्रस्ताव इतिहास में “एक और असफल कोशिश” कहलाएगा या “शांति की नई शुरुआत”।
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