जम्मू-कश्मीर के शासन में कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा: ‘वंदे मातरम’ वर्षगांठ पर उमर अब्दुल्ला का बड़ा बयान
जम्मू-कश्मीर के शासन में कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा: ‘वंदे मातरम’ वर्षगांठ पर उमर अब्दुल्ला का बड़ा बयान
जम्मू-कश्मीर के शासन में कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ मनाने की अनुमति उन्होंने नहीं दी। उन्होंने दो टूक कहा कि प्रदेश के प्रशासनिक फैसलों में कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि उन्होंने स्कूलों में ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ मनाने की अनुमति नहीं दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह के फैसले केवल राज्य सरकार के स्तर पर होने चाहिए, न कि किसी बाहरी निर्देश के आधार पर। अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के शासन में किसी भी प्रकार का बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं होगा।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों को संबोधित किया
मध्य कश्मीर जिले में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, “यह निर्णय न तो कैबिनेट द्वारा लिया गया है और न ही शिक्षा मंत्री ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। हमें अपने स्कूलों में क्या होना चाहिए, यह खुद तय करना चाहिए — बाहरी निर्देशों के बिना।”
दरअसल, 30 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के संस्कृति विभाग ने एक परिपत्र जारी कर सभी स्कूलों से ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया था।
हालाँकि, इस आदेश का कड़ा विरोध मुताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) नामक धार्मिक संगठनों के गठबंधन ने किया। एमएमयू ने इस निर्देश को “जबरदस्ती वाला आदेश” बताते हुए इसे तुरंत वापस लेने की माँग की। संगठन का कहना था कि ‘वंदे मातरम’ गीत के कुछ हिस्से इस्लामी एकेश्वरवाद की भावना के विपरीत हैं, इसलिए इसे धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है।
मुख्यमंत्री अब्दुल्ला उस समय बडगाम विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए पहुँचे थे, जहाँ 11 नवंबर को मतदान होना है। संवाददाताओं ने जब उनसे पार्टी सांसद रूहुल्लाह मेहदी की अनुपस्थिति को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि पार्टी किसी को चुनाव प्रचार के लिए मजबूर नहीं करती।
अब्दुल्ला ने कहा, “जो लोग प्रचार करना चाहते हैं, वे स्वेच्छा से करते हैं। जो नहीं करना चाहते, वे न करें — यह बिल्कुल ठीक है। लेकिन जब हम जीतेंगे, तो जो लोग हमारे साथ नहीं हैं, वे हमारे जश्न का हिस्सा भी नहीं होंगे।”
गौरतलब है कि रूहुल्लाह मेहदी हाल के महीनों में पार्टी से दूरी बनाकर सरकार की आलोचना करते रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि गंदेरबल से जीतने के बाद बडगाम सीट खाली करनी पड़ी, जिससे उपचुनाव की नौबत आई। उन्होंने कहा,
“मैं कभी दो सीटों से चुनाव नहीं लड़ना चाहता था। सही समय आने पर हम सच्चाई साझा करेंगे।”
अब्दुल्ला ने बडगाम और जम्मू की नगरोटा सीट पर अपनी पार्टी की जीत को लेकर पूरा भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि अंतिम चरण में पार्टी कार्यकर्ता मतदाताओं तक पहुँचने में पूरी मेहनत करेंगे और लोगों को नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन के लिए प्रेरित करेंगे।
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इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में फिर से हलचल तेज हो गई है। ‘वंदे मातरम’ विवाद पर अब्दुल्ला का यह रुख न केवल राजनीतिक, बल्कि धार्मिक और प्रशासनिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे जम्मू-कश्मीर की संवेदनशील सामाजिक संतुलन नीति पर भी असर पड़ सकता है।
